इन की ठोकर में शरारत होगी फ़ित्ने उट्ठेंगे क़यामत होगी कज-अदाई की तलाफ़ी क्यूँ हो मेहरबानी तो मुसीबत होगी मेरी फ़ुर्सत का ठिकाना क्या है आप को भी कभी फ़ुर्सत होगी वो न होंगे तो न होगा कुछ भी देखने के लिए जन्नत होगी क्या ख़बर थी दम-ए-रुख़्सत ये 'अज़ीज़' शुक्र के बदले शिकायत होगी