कौन होगा मिरी जुरअत का बदल मेरे बा'द

कौन होगा मिरी जुरअत का बदल मेरे बा'द
ख़त्म हो जाएगा हर रद्द-ए-अमल मेरे बा'द

कौन फिर मेरी तरह तेरा उड़ाएगा मज़ाक़
ज़िंदगी फिर किसे बख़्शेगी अजल मेरे बा'द

'मीर' तो 'मीर' था और सच ही कहा था उस ने
सर-ब-गर्दां ही रहेगी ये ग़ज़ल मेरे बा'द

कोई क़दमों से नहीं रौंदेगा दौलत उन की
किस से उलझेंगे ये अर्बाब-ए-दुवल मेरे बा'द

नज़्म-ए-आलम भी मुझी से मैं बिना-ए-आलम
देखना आएगा आलम में ख़लल मेरे बा'द

इब्न-ए-आदम की जिबिल्लत है अनासिर का फ़साद
ख़त्म होगी भी तो ये जंग-ओ-जदल मेरे बा'द

कैसे सूरज से नबर्द-आज़मा होगा कोई
कौन खेलेगा 'शरर' आग से कल मेरे बा'द


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