बंदगी मो'तबर चाहिए आप का संग-ए-दर चाहिए हर भली चीज़ अच्छी नहीं आदमी में नज़र चाहिए दर्द-ए-दिल ज़िंदगी बन गया किस को अब चारागर चाहिए एक झटके का है ये क़फ़स जुरअत-ए-बाल-ओ-पर चाहिए कोई मंज़िल भी मुश्किल नहीं इश्क़ सा राहबर चाहिए शेर कहना है आसाँ 'अमीन' शाइ'री में हुनर चाहिए