आईने के इस तरफ़ से उस तरफ़ आते हुए उम्र गुज़री है ख़ुदी को ख़ुद से मिलवाते हुए यूँ समझ लीजे हमारी इश्क़ में बेचारगी डूब जाना था हमें तैराकियाँ आते हुए जाने उस शब क्या हुआ था मेरी अक़्ल-ओ-होश को ख़ुद बहकने लग गया था उस को समझाते हुए बे-सबब कुछ भी नहीं था बे-सबब तन्क़ीद भी वो मिटाए जा रहा था नक़्श-ए-पा जाते हुए आप के पीछे गुज़ारी ज़िंदगी मत पूछिए काटनी थी काट ली रोते हुए गाते हुए अब न लीजे नाम उस का दिल कि जिस की ज़िद किए सो गया है थक-थका कर रोते चिल्लाते हुए