इंजील-ए-रफ़्तगाँ की हदीसों के साथ हूँ ईसा-नफ़स हूँ और सलीबों के साथ हूँ पाबंद-ए-रंग-ओ-नक़्श हूँ तस्वीर की तरह मैं बे-हिजाब अपने हिजाबों के साथ हूँ औराक़-ए-आरज़ू पे ब-उन्वान-ए-जाँ-कनी मैं बे-निशाँ सी चंद लकीरों के साथ हूँ शायद ये इंतिज़ार की लौ फ़ैसला करे मैं अपने साथ हूँ कि दरीचों के साथ हूँ तू फ़तह-मंद मेरा तराशा हुआ सनम मैं बुत-तराश अपनी शिकस्तों के साथ हूँ मौज-ए-सबा की ज़द पे सर-ए-रहगुज़ार-ए-शौक़ मैं भी 'नसीर' घर के चराग़ों के साथ हूँ