इंसानी दरिंदे और इस आसानी से मर जाएँ ये सोचने बैठें तो परेशानी से मर जाएँ वो जिन को मयस्सर थी हर इक चीज़-ए-दिगर भी मुमकिन है सुहूलत की फ़रावानी से मर जाएँ कश्ती पे थे कश्ती को जलाते हुए हज़रात अब आग से बच जाएँ भले पानी से मर जाएँ आईने का ये कौन सा सीज़न है हमें क्या दीवार को तकते हुए हैरानी से मर जाएँ 'बाबर' कोई जज़्बाती क्रोनों से ये पूछे किस खाते में हम आप की नादानी से मर जाएँ ऐ दोस्त मुकम्मल नज़र-अंदाज़ ही कर देख ऐसा न हो हम नीम निगहबानी से मर जाएँ बच जाएँ तो आख़िर किसे क्या फ़र्क़ पड़ेगा दुश्मन न सही दोस्त पशेमानी से मर जाएँ आँखों में उतरते हुए इतराएँ सितारे सूरज हों तो जल कर तिरी पेशानी से मर जाएँ राँझे को तो फिर हीर की तस्वीर बहुत है जी करता था लग कर उसी मरजानी से मर जाएँ