इंसानों का चुप कर जाना ठीक नहीं तहरीरों का शोर मचाना ठीक नहीं तेरा ये मोहतात रवय्या कहता है तू ने मुझ को कुछ पहचाना ठीक नहीं ये ज़ालिम कब तेरे आँसू पोछेंगे तस्वीरों से दिल बहलाना ठीक नहीं रस्ते में कुछ दोस्त नुमा से दुश्मन हैं उस घर तेरा आना जाना ठीक नहीं बादल फिर बरसात से तौबा कर लेंगे पानी में यूँ आग लगाना ठीक नहीं जिन बातों ने पहले बात बिगाड़ी थी उन बातों का फिर दोहराना ठीक नहीं उस ने मेरा नाम लिखा है बाज़ू पर हर इक को ये बात बताना ठीक नहीं मौसम कलियाँ फूल नज़ारे ताक में हैं तेरा घर से बाहर जाना ठीक नहीं जब तक मेरी साँस सलामत साथ तो दो ज़िंदा शख़्स को यूँ कफ़नाना ठीक नहीं क्यों तुझ को ये बात समझ ना आती है इश्क़ मोहब्बत प्यार कहा ना ठीक नहीं कितना तुझ को समझाया था प्यार न कर तन्हा हो कर अब पछताना ठीक नहीं उस का नाम कहीं भी सुन कर लोगों से तेरी आँखों का भर आना ठीक नहीं लोग न जाने क्या क्या बातें सोचेंगे बैठे बैठे गुम हो जाना ठीक नहीं ऐसे तो सब लोग किनारा कर लेंगे तेरा इतना ग़ुस्सा खाना ठीक नहीं 'दानिश' चिड़ियाँ कैसे आकर बैठेंगी दीवारों पर काँच लगाना ठीक नहीं