इंतिहा होने से पहले सोच ले बेवफ़ा होने से पहले सोच ले बंदगी मुझ को तो रास आ जाएगी तू ख़ुदा होने से पहले सोच ले कासा-ए-हिम्मत न ख़ाली हो कभी तू गदा होने से पहले सोच ले ये मोहब्बत उम्र भर का रोग है मुब्तला होने से पहले सोच ले बच रहे कुछ तेरे मेरे दरमियाँ फ़ासला होने से पहले सोच ले ज़िंदगी इक साज़ है लेकिन 'कँवल' बे-सदा होने से पहले सोच ले