तिरा वा'दा था वा'दा रह गया है हमारा सब्र तकता रह गया है वही है दर्द आँखों में अभी तक जो तुझ से इश्क़ आधा रह गया है मिरे वो ज़ख़्म सारे भर गए थे मगर दिल फिर भी टूटा रह गया है अधूरे ख़्वाब सारे मिट गए हैं तुम्हारा नाम लिक्खा रह गया है रवाना कब से गाड़ी हो गई है हमारा हाथ हिलता रह गया है मुसव्विर ठीक है तस्वीर सारी मिरा चेहरा क्यूँ सादा रह गया है ग़ज़ल 'इक़रा' मुकम्मल हो चुकी है मगर सर है कि दुखता रह गया है