इरादा है किसी जंगल में जा रहूँगा मैं तुम्हारा नाम हर इक पेड़ पर लिखूँगा मैं हर एक पेड़ पे चढ़ के तुम्हें पुकारूँगा हर एक पेड़ के नीचे तुम्हें मिलूँगा मैं हर एक पेड़ कोई दास्ताँ सुनाएगा समझ न पाऊँगा लेकिन सुना करूँगा मैं तमाम रात बहारों के ख़्वाब देखूँगा गिरे पड़े हुए पत्तों पे सो रहूँगा मैं अँधेरा होने से पहले परिंदे आएँगे उजाला होने से पहले ही जाग उठूँगा मैं तुम्हें यक़ीन न आए तो क्या हुआ 'अल्वी' मुझे यक़ीन है ऐसे भी जी सकूँगा मैं