ज़ो'म-ए-हस्ती मिरे इदराक से बाँधा गया है और बदन तुर्रा-ए-पेचाक से बाँधा गया है एक आँसू तिरी पोशाक से बाँधा गया है या सितारा कोई अफ़्लाक से बाँधा गया है इश्क़ को गेसू-ए-पेचाक से बाँधा गया है और फिर गर्दिश-ए-अफ़्लाक से बाँधा गया है ख़ाक उड़ाता हूँ मैं ता-उम्र निभाने के लिए एक रिश्ता जो मिरा ख़ाक से बाँधा गया है टूटे पड़ते हैं तमाशे को यहाँ पर नख़चीर आज सय्याद को फ़ितराक से बाँधा गया है किश्त-ए-वहशत हो जिसे देखनी आए देखे हर बगूला ख़स-ओ-ख़ाशाक से बाँधा गया है फिर वही हर्फ़-ए-तमन्ना है वही साअत-ए-दर्द फिर हमें दीदा-ए-नमनाक से बाँधा गया है अब किसी कूज़ा-गरी की नहीं हाजत कि मुझे ता फ़ना एक इसी चाक से बाँधा गया है हम गुनहगारों की है आख़िरी उम्मीद वही अहद इक जो शह-ए-लौलाक से बाँधा गया है कुजा ये शोख़-अदा दुनिया कुजा मैं 'इरफ़ान' मर्द-ए-सादा ज़न-ए-बेबाक से बाँधा गया है