इस अर्ज़ के तख़्ते पर संसार है और मैं हूँ मौहूम हुआ तो क्या पर यार है और मैं हूँ पड़ती है नज़र जीधर वो यार है और मैं हूँ है कौन सिवा मेरे दिलदार है और मैं हूँ मैं यार कने क़ासिद भेजा तो है पर शायद ले नामा अगर आया रीबार है और मैं हूँ मोडूँगा नहीं मुँह को मैं इश्क़ के मैदाँ से इस यार के अबरू की तलवार है और मैं हूँ अब देखिए क्या निबटे सीना है सिपर अपना वो ख़ंजर-ए-मिज़्गाँ का ख़ूँ-ख़ार है और मैं हूँ जब से ब-सनम-ख़ाना की मैं ने क़दम-बोसी सौ तरह की ज़ाहिद से तकरार है और मैं हूँ राहिब ने मिरे क़श्क़ा संदल का लगाया है नाक़ूस है घंटा है ज़ुन्नार है और मैं हूँ नफ़-ओ-ज़रर-ए-दुनिया दुनिया ही पे मैं छोड़ा अब इश्क़ का ऐ यारो बेवपार है और मैं हूँ हैराँ मैं हूँ ऐ यारो किस वास्ते 'अफ़रीदी' रुस्वाई ब-हर कूचा बाज़ार है और मैं हूँ