इस लिए हर तरफ़ अंधेरा है By Ghazal << हिज्र में जब ख़याल-ए-यार ... ग़ालिबन मेरे अलावा कोई गु... >> इस लिए हर तरफ़ अंधेरा है इस इलाक़े का चाँद बूढ़ा है ऐ ख़लाओं में चीख़ने वाले तू मिरी ख़ामुशी का बेटा है ऐ हसीं सब्ज़ जिस्म के मालिक ये बता फूल कब महकता है तुम 'क़मर' जिस में डूब जाते हो उस समुंदर में एक रस्ता है Share on: