इस से आगे जो बचा किरदार वो लाचार है ख़त्म है जिस पर कहानी ये वही दीवार है वक़्त पर बस इस लिए लेता नहीं हूँ मैं दवा पूछ ले वो किस से कैसा अब मिरा बीमार है भूक ग़ुर्बत सर छुपाने को जहाँ पर घर नहीं लोग ऐसे किस से बोलें ज़िंदगी दुश्वार है यार बिछड़ा है मिरा कुछ रोज़ पहले ग़म में हूँ इन दिनों मेरे लिए दुनिया बड़ी बेकार है माँ से रो के कह रही थी एक लड़की रंज में माँ मुझे जिस से मोहब्बत है वही दरकार है कह रही थी दोस्त से 'राहिल' मिलेगा एक दिन बाप मेरा इस क़बीले का अभी सरदार है