इस से पहले कहीं इम्कान के मीनारे पर हम मिले होंगे किसी दूसरे सय्यारे पर यार लबरेज़ निगाहों से ज़ियारत तेरी रौशनी आए गिरे चश्म के अँधियारे पर आ तहय्युर के किसी बाग़ उतर जाते हैं और मिलते हैं कमालात के फ़व्वारे पर मंज़र-ए-मिस्र में याक़ूब को यूसुफ़ देखे यूँ रहे आँख तिरे हुस्न के नज़ारे पर हाथ आ जाए तबस्सुम का तिरे फूल कभी पाँव पड़ जाए कभी आह के अंगारे पर शोरिश-ए-सुब्ह दिगर-गूँ में सँभलने के लिए हाथ रखता हूँ मोहब्बत के गुहर-पारे पर