इस से पहले नज़र नहीं आया इस तरह चाँद का ये हाला मुझे आदमी किस कमाल का होगा जिस ने तस्वीर से निकाला मुझे मैं तुझे आँख भर के देख सकूँ इतना काफ़ी है बस उजाला मुझे उस ने मंज़र बदल दिया यकसर चाहिए था ज़रा सँभाला मुझे और कुछ यूँ हुआ कि बच्चों ने छीना झपटी में तोड़ डाला मुझे याद हैं आज भी 'रसा' वो हाथ और रोटी का वो निवाला मुझे