इस तरफ़ से ज़रा गुज़र जाओ By Ghazal << धोका था हर इक बर्ग पे टूट... इश्क़ पागल-पन में संजीदा ... >> इस तरफ़ से ज़रा गुज़र जाओ ख़ुश्क पत्तों में रंग भर जाओ जी उठें जाँ-ब-लब ये दीवारें आओ ये मो'जिज़ा भी कर जाओ रूह तक ताज़गी सी फैला दो बन के ख़ुश्बू ज़रा बिखर जाओ ये हुनर भी तो तुम को आता है फिर से वा'दा करो मुकर जाओ Share on: