इस तरह बज़्म में वस्फ़-ए-रुख़-ए-जानाना करूँ आतिश-ए-शौक़ से ता-शम्अ को परवाना करूँ अक़्ल का तअन न कर मुझ पे अभी ऐ नासेह इक सुख़न इश्क़ का कह तुझ को भी दीवाना करूँ अश्क-ए-हसरत की अगर होवे मदद ऐ ज़ाहिद दिल-ए-सद-चाक को मैं सुब्हा-ए-सद-दाना करूँ दर्द-ए-दिल पूछ न मुझ से कि वो बातूनी हूँ हर्फ़ हो एक तो सौ तरह से अफ़्साना करूँ अपने सौदा ने किया शहर का बाज़ार तो गर्म ऐ 'रज़ा' दिल में है आबाद मैं वीराना करूँ