इस वास्ते लोगों को सुनाई नहीं देते हम आह तो भरते हैं दुहाई नहीं देते कुछ दर्द हैं ऐसे कि जो चेहरे से अयाँ हैं कुछ ज़ख़्म हैं ऐसे जो दिखाई नहीं देते वो रास्ते जचते ही नहीं अहल-ए-दिलाँ को वो रास्ते जो आबला-पाई नहीं देते यादों की है इक बज़्म सजी ख़ाना-ए-दिल में इस बज़्म में ग़ैरों को रसाई नहीं देते हम लोग तअल्लुक़ में बहुत साफ़ हैं लेकिन हम लोग तअल्लुक़ की सफ़ाई नहीं देते