इस वास्ते अदू को गवारा नहीं था मैं मारा गया था जंग में हारा नहीं था मैं मुझ से ही मुझ को वक़्त ने तफ़रीक़ कर दिया जो तेरे सामने था वो सारा नहीं था मैं मैं तेरे चोंचलों पे अना कैसे बेचता ऐ ज़िंदगी ग़ुलाम तुम्हारा नहीं था मैं पहलू में हो जो दिल तो ज़रा पूछ कर बता कल तक तुम्हारी आँख का तारा नहीं था मैं उस शख़्स से निबाह तिरा क्यों न हो सका जिस की वजह से तुझ को गवारा नहीं था मैं दिल ही मिरा 'नसीर' बग़ावत पे तुल गया बाहर के दुश्मनों से तो हारा नहीं था मैं