इश्क़ और इंतिज़ार तौबा है दर्द वो है कि यार तौबा है दिल के सहरा की ख़ुश्क धरती पर इस क़दर है ग़ुबार तौबा है कैसी कैसी हैं ख़्वाहिशें तेरी ऐ दिल-ए-बे-क़रार तौबा है बे-गुनाही का जुर्म ले आया फिर हमें सू-ए-दार तौबा है अब तो कच्चा घड़ा भी पास नहीं और जाना है पार तौबा है ज़र्द कलियाँ खुली हैं शाख़ों पर है ख़िज़ाँ या बहार तौबा है प्यार की पे से जो नहीं वाक़िफ़ वो भी करते हैं प्यार तौबा है