इश्क़ का इम्तिहान है प्यारे और तू ना-तवान है प्यारे दिल के इस इज़्तिराब से हर दम हर हक़ीक़त बयान है प्यारे तेरी सरकश-निगार फ़ितरत से ग़म-ज़दा आसमान है प्यारे फ़ितरत-ए-दिल है बस बहक जाना आजिज़ी बद-गुमान है प्यारे रक़्स-ए-फ़रियाद से आजिज़ हो कर बेबसी बे-ज़बान है प्यारे मैं गिरफ़्त-ए-विसाल का मारा और वो ला-मकान है प्यारे इश्क़ ख़ून-ए-जिगर का तालिब है तू कि कमज़ोर-ए-जान है प्यारे सर-ब-सज्दा निगार-ए-हस्ती से चश्म-ए-नम हिर्ज़-ए-जान है प्यारे ख़ाक बोसीदा दिल का हो जाना इस के शायान-ए-शान है प्यारे ख़ुद से बेज़ार क्यों हुआ 'बालिग़' तुझ पे रब मेहरबान है प्यारे