इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी इस क़दर उलझन में पहले ज़िंदगी देखी न थी ये तमाशा भी अजब है उन के उठ जाने के बाद मैं ने दिन में इस से पहले तीरगी देखी न थी आप क्या आए कि रुख़्सत सब अंधेरे हो गए इस क़दर घर में कभी भी रौशनी देखी न थी आप से आँखें मिली थीं फिर न जाने क्या हुआ लोग कहते हैं कि ऐसी बे-ख़ुदी देखी न थी मुझ को रुख़्सत कर रहे हैं वो अजब अंदाज़ से आँख में आँसू लबों पर ये हँसी देखी न थी किस क़दर ख़ुश हूँ मैं 'नासिर' उन को पा लेने के बाद ऐसा लगता है कभी ऐसी ख़ुशी देखी न थी