इश्क़ ख़ुद माइल-ए-हिजाब है आज हुस्न मजबूर-ए-इज़्तिराब है आज मय-कदा ग़म-कदा है तेरे बग़ैर सर-निगूँ शीशा-ए-शराब है आज मुतग़य्यर है आलम-ए-जज़्बात कौन इस दिल में बारयाब है आज ज़िंदगी जिस में साँस लेती थी वो ज़माना ख़याल-ओ-ख़्वाब है आज मिट गए दिल के वलवले 'सीमाब' ख़त्म अफ़साना-ए-शबाब है आज