इश्क़ की ऐसी शान तो होगी इस से तिरी पहचान तो होगी गाँव की लड़की का क्या कहना कुछ नहीं वो इंसान तो होगी उस के नगर में दिल के लिए कुछ सूरत-ए-इत्मीनान तो होगी कुछ भी कह लो दिल की ख़लिश को ज़ीस्त का ये उनवान तो होगी दार-ओ-रसन के अफ़्सानों में कैफ़ न होगा जान तो होगी ज़ेर-ए-लब वो मौज-ए-तबस्सुम मेरे लिए तूफ़ान तो होगी हँसती हुई वो चश्म-ए-सुख़न-गो अहल-ए-दिल की जान तो होगी 'रम्ज़' वो काफ़िर ज़ुल्फ़-ए-मुअत्तर दिल का मिरे ईमान तो होगी