इश्क़ की शरह-ए-मुख़्तसर के लिए सिल गए होंट उम्र-भर के लिए ज़िंदगी दर्द-ए-दिल से कतरा कर दर्द-ए-सर बन गई बशर के लिए दिल अज़ल से है शो'ला पैराहन शम्अ' जलती है रात-भर के लिए उस ने दिल तोड़ कर किया इरशाद अब तसल्ली है उम्र-भर के लिए अब्र-ए-रहमत है इश्क़ का दामन आतिश-ए-रज़्म ख़ैर-ओ-शर के लिए हम भी कू-ए-बुताँ को जाते हैं ऐ सबा क़स्द है किधर के लिए वो तजल्ली है मुंतज़िर अब तक किसी शाइस्ता-ए-नज़र के लिए ख़ून-ए-दिल सर्फ़ कर रहा हूँ 'रविश' ख़ूब से नक़्श-ए-ख़ूब-तर के लिए