इश्क़ को अपने लिए समझा असासा दिल का और इस दिल ने बना डाला तमाशा दिल का बा'द तेरे कोई नज़रों में समाया ही नहीं अब सदा देता नहीं ख़ाली ये कासा दिल का एक तूफ़ान है रोके से नहीं जो रुकता मौज ने तोड़ दिया हो न किनारा दिल का दो-घड़ी चैन से जीने नहीं देता नादाँ जान पाते ही नहीं क्या है इरादा दिल का वो पलट आए कभी और उसे मैं न मिलूँ ले ही डूबेगा किसी रोज़ ये धड़का दिल का चाहतें बाँटी हैं दुनिया को मोहब्बत दी है मैं ने कब यूँही सँभाला है ख़ज़ाना दिल का दरमियाँ इश्क़ के दीवार खड़ी है 'शहनाज़' अक़्ल पे कैसा लगा आज ये पहरा दिल का