इश्क़ में अश्क जो बहाते हो आग पानी को तुम मिलाते हो सारे पकवान फिर लगें फीके होंठ जब होंठ से लगाते हो एक काँटे से फूल ने बोला शुक्रिया तुम मुझे बचाते हो तैरने का हुनर नहीं फिर भी गहरे पानी में क्यों नहाते हो डर है जब दिल के टूट जाने का रेत पे घर ही क्यों बनाते हो इतना क्यों बुग़्ज़ है सितारों से हाथ बस चाँद से मिलाते हो