इश्क़ पर दोस्ती का चेहरा है By Ghazal << अज़दवाजी ज़िंदगी भी और ति... हैराँ मैं पहली बार हुआ ज़... >> इश्क़ पर दोस्ती का चेहरा है घाव देखो ये कितना गहरा है सुन के सब की जो पहुँचा मंज़िल पे शख़्स वो असलियत में बहरा है दश्त में सिर्फ़ प्यास पलती है दश्त दिखने में बस सुनहरा है जिस को तुम ने कहा था आओगी फूल पकड़े वो अब भी ठहरा है Share on: