इतना करम इतनी अता फिर हो न हो तुम से सनम वादा वफ़ा फिर हो न हो ये ही हैं दिन, बाग़ी अगर बनना है बन तुझ पर सितम किस को पता फिर हो न हो शायद ये मंज़र उस के आने तक ही हो आँखों में दम अटका हुआ फिर हो न हो मंज़िल तक अपना साथ है, गाते चलें तू हम-क़दम तू हम-नवा फिर हो न हो आगे थकन कर दे न कम शौक़-ए-सफ़र नक़्श-ए-क़दम पर जाँ फ़िदा फिर हो न हो