इतनी आसानी से गर तुझ को ख़ुदा मिल जाएगा फिर तो तेरी वहशतों को हौसला मिल जाएगा तिकड़मों से तुझ को जन्नत का पता मिल जाएगा पर सिफ़ारिश से वहाँ क्या दाख़िला मिल जाएगा तीरगी तो बस तमाशा देखती रह जाएगी आंधियों से साज़िशन बुझता दिया मिल जाएगा बेचना तो है नहीं ईमान फिर भी बोलिए इस का बाज़ारों में हम को दाम क्या मिल जाएगा आँख है घर दिल गली ये जिस्म उन का शहर है डाकिया को मुझ में ही उन का पता मिल जाएगा झूटी शक्लों को है मुश्किल ख़ुद को वो देखें कहाँ सच्चे चेहरों को तो फिर भी आइना मिल जाएगा सच तो ये है फिर से उस की बातों में आ जाएँगे आज भी हम को अगर वो बेवफ़ा मिल जाएगा आप के नख़रे उठाएँ हर घड़ी मिन्नत करें जाइए इतने में तो हम को ख़ुदा मिल जाएगा ना-उमीदी में भी मेरी पुर-उमीदी देखिए वो हुआ मिल कर जुदा हो कर जुदा मिल जाएगा