जान मुश्किल में है पता तो चले क्या तिरे दिल में है पता तो चले किस की आराम से गुज़रती है कौन मुश्किल में है पता तो चले तज़्किरा क्या हमारे ही ग़म का उन की महफ़िल में है पता तो चले तीर ख़ंजर कि ज़हर या कुछ और दस्त-ए-क़ातिल में है पता तो चले कारवाँ लुट गया है या अब भी राह मंज़िल में है पता तो चले तू ही अपनी ज़बाँ से कह देना जो तिरे दिल में है पता तो चले