जान ये इंतिज़ार कैसा है हिज्र में भी क़रार कैसा है तेरी बातों का ज़ख़्म है अब तक देख तेरा शिकार कैसा है दिल की धड़कन सुनी तो वो बोले ये खनकता सितार कैसा है नब्ज़ ने लौटते ही पूछा था सूने दिल का दयार कैसा है मेरे आँसू उसे तसल्ली दें मुझ को ये उस से प्यार कैसा है मुझ में हिम्मत नहीं लगाऊँ दिल और देखूँ कि प्यार कैसा है रूह के ज़ख़्म जिस्म से हैं अयाँ पैरहन तार-तार कैसा है फूल के हाल से मैं वाक़िफ़ हूँ तुम बताओ कि ख़ार कैसा है वो रखेगा मिरा भरम बाक़ी उस पे ये ए'तिबार कैसा है