जाने कैसा है ज़िंदगी का सफ़र आगही का या बे-ख़ुदी का सफ़र ख़ाक से बन के ख़ाक हो जाना दायरा में है हर किसी का सफ़र इतना मुश्किल है जितना लगता था हम को आसान आशिक़ी का सफ़र ये पतिंगे से पूछ कैसा था रौशनी से वो शो'लगी का सफ़र गर किसी से तुम्हें मोहब्बत है संग उसी के हो बंदगी का सफ़र अजनबी जो थे हो गए जिगरी क्या मज़े का है दोस्ती का सफ़र साथ ग़ाफ़िल-नवा अज़ल सब है ख़ूब है 'अहद' शाइ'री का सफ़र