जाने किस मोड़ पर मैं ने देखा नहीं मुड़ गया हम-सफ़र मैं ने देखा नहीं तुम को मालूम हो तो बताना मुझे रह गई मैं किधर मैं ने देखा नहीं वक़्त की सीढ़ियाँ चढ़ते देखा उसे वो गया फिर किधर मैं ने देखा नहीं ले के आया था मेरे लिए रौशनी जब गया छोड़ कर मैं ने देखा नहीं मिल ही जाती कभी कोई मंज़िल मुझे इक क़दम लौट कर मैं ने देखा नहीं तुम गए साथ उस के जिधर भी कहीं तुम समझना उधर मैं ने देखा नहीं प्यार है किस क़दर उस को मुझ से 'शबी चूड़ियाँ तोड़ कर मैं ने देखा नहीं