जाने वो चीज़ क्या थी जो चमकी ज़मीन पर उजले से लोग आ गिरे मैली ज़मीन पर तेरे लिए वो धूप का टुकड़ा रहा रहे मेरे लिए तो आग सी बरसी ज़मीन पर सूरज ने दी जो आग वो सूरज में घोल दी थी राख इस ज़मीं की सो रख दी ज़मीन पर ये बद-हवास जिस्म किसी काम का नहीं लगता है जैसे लाश हो जलती ज़मीन पर ये फ़ासला नहीं है ज़रूरत की बात है तितली है फूल पर तो है चींटी ज़मीन पर पहले पहल तो मैं उसे शाइ'र नहीं लगा अब शे'र कह रहा है वो मेरी ज़मीन पर