ज़ौक़-ए-नज़र को इज़्न-ए-नज़ारा न मिल सका तन्हा कभी वो अंजुमन-आरा न मिल सका हम पर तो जल्द खुल गया साहिल का सब भरम अच्छे रहे वो जिन को किनारा न मिल सका यक-तरफ़ा राब्ता ही निभाना पड़ा हमें उन की तरफ़ से कोई इशारा न मिल सका तुम भी क़ुसूर-वार नहीं क़िस्सा मुख़्तसर मेरा तुम्हारे साथ सितारा न मिल सका शहरों की ख़ाक छानी खंगाले हैं दश्त ओ दर लेकिन हमें सुराग़ हमारा न मिल सका मैं भी थी ख़ुद-पसंद नहीं इस में शक कोई अक्सर तो पर मिज़ाज तुम्हारा न मिल सका ऐ काश साथियों से वो अपने कभी कहे 'शबनम' सा कोई मुझ को दोबारा न मिल सका