जब भी दिख जाएँ वो हैरत करना By Ghazal << मैं तो सौ बार तिरे मिलने ... कैसा ही दोस्त हो न कहे रा... >> जब भी दिख जाएँ वो हैरत करना ऐसे रंगों की हिफ़ाज़त करना उस का मुझ से यूँ ही लड़ लेना और घर की चीज़ों से शिकायत करना मेरे ता'वीज़ में जो काग़ज़ है उस पे लिक्खा है मोहब्बत करना Share on: