जब भी कोई बात की आँसू ढलके साथ हम भी पागल हो गए मन पागल के साथ रात को काली चाँदनी दिन को काली धूप ढूँडें आँखें रौशनी रहें धुँदलके साथ मारें टामक-टोईए अँधियारे में लोग तारे सारे बुझ गए दिल के कँवल के साथ आज है मन में रन पड़ा आज की रक्खो लाज झूटी कल की दोस्ती झूटे कल के साथ पाप करो जी खोल कर धब्बों की क्या सोच जब जी चाहा धो लिए गंगा-जल के साथ गुरु तो ख़ैर गुरु हुआ उस की भली कही चलता है क्या बालका उछल उछल के साथ रेल बजाए सीटियाँ दौड़ो वक़्त चला हुक़्क़ा पीने चौधरी गया अजल के साथ तोतों ने हैं आज कल खोले यहाँ स्कूल बैलों ने हैं आदमी जूते हल के साथ आन की आन में हो गई दुनिया और से और हम तुम बैठे रह गए बीते पल के साथ दुनिया की ये रीत है माँगे भीक न दे पाए वही जो छीन ले बढ़ कर बल के साथ कोई वक़्त को रोक लो गया न आए हाथ आता पल भी लो गया जाते पल के साथ घर बैठे होगी नहीं वहशत दिल की दूर रास रची है शहर में देखो चल के साथ मध माते का साथ क्या आई लहर गया परतव ले मन बाँवरा हर आँचल के साथ हम को देखो पी गए मटके ज़हर भरे तुम तो बे-सुध हो गए इक बोतल के साथ जाता था इक क़ाफ़िला रूप-नगर की और हम भी 'अंजुम' हो लिए भेस बदल के साथ