जब भी उन के हमें अंदाज़-ए-नज़र याद आए दिल पे इक चोट लगी दर्द-ए-जिगर याद आए शब को याद आए कभी वक़्त-ए-सहर याद आए हम भुलाते ही रहे आप मगर याद आए आह फिर होने लगी एक ख़लिश सी दिल में उन के मुबहम से इशारात-ए-नज़र याद आए हाए क्या चीज़ मोहब्बत में है मजबूरी भी लाख चाहा वो न याद आएँ मगर याद आए यूँ तो ये ज़ीस्त तुम्हारी है ख़ुशी से ले लो अश्क रो के न रुकेंगे हम अगर याद आए अश्क छलके कभी होंटों पे मिरे आई हँसी जब वो याद आए ब-अंदाज़-ए-दिगर याद आए हाए बस आने ही वाली थी हँसी होंटों पर मुझ को गुज़रे हुए अय्याम मगर याद आए जब भी ऐ 'शौक़' ज़रा दिल को सुकूँ मिलने लगा हम को उस शौक़ के अंदाज़-ए-नज़र याद आए