जब ब-तक़रीब-ए-सफ़र यार ने महमिल बाँधा तपिश-ए-शौक़ ने हर ज़र्रे पे इक दिल बाँधा अहल-ए-बीनश ने ब-हैरत-कदा-ए-शोख़ी-ए-नाज़ जौहर-ए-आइना को तूती-ए-बिस्मिल बाँधा यास ओ उम्मीद ने यक-अरबदा मैदाँ माँगा इज्ज़-ए-हिम्मत ने तिलिस्म-ए-दिल-ए-साइल बाँधा न बंधे तिश्नगी-ए-ज़ौक़ के मज़मूँ 'ग़ालिब' गरचे दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा इस्तिलाहात-ए-असीरान-ए-तग़ाफ़ुल मत पूछ जो गिरह आप न खोली उसे मुश्किल बाँधा यार ने तिश्नगी-ए-शौक़ के मज़मूँ चाहे हम ने दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा तपिश-आईना परवाज़-ए-तमन्ना लाई नामा-ए-शौक़ ब-हाल-ए-दिल-ए-बिस्मिल बाँधा दीदा ता-दिल है यक-आईना चराग़ाँ किस ने ख़ल्वत-ए-नाज़ पे पैराया-ए-महफ़िल बाँधा ना-उमीदी ने ब-तक़रीब-ए-मज़ामीन-ए-ख़ुमार कूच-ए-मौज को ख़म्याज़ा-ए-साहिल बाँधा मुतरिब-ए-दिल ने मिरे तार-ए-नफ़स से 'ग़ालिब' साज़ पर रिश्ता पए नग़्मा-ए-'बेदिल' बाँधा