जब दस्त-बस्ता की नहीं उक़्दा-कुशा नमाज़ काटेगी मेरी पाँव की ज़ंजीर क्या नमाज़ बंदों का तो ये हाल है लेती नहीं सलाम क्यूँ कर कहूँ क़ुबूल करेगा ख़ुदा नमाज़ बू-ए-रिया हर एक गुल-ए-बोरिया में है दुनिया की घर का फ़र्श है ज़ाहिद की जा-नमाज़ रोज़ा हमारी फ़ाक़ा-कशी का नमूना है अपनी फ़रोतनी का ही इक परतवा नमाज़ फ़रियाद कर रहा हूँ दो-वक़्ती अज़ाँ नहीं तकलीफ़ मुझ को देती हैं सुब्ह-ओ-मसा नमाज़ मीना-ए-मय इमाम हो मामूम रिंद हों हसरत है पाँच वक़्त की हो यूँ अदा नमाज़ सारे नुक़ूश संगी-ए-गुलहा-ए-बाग़-ए-खु़ल्द जिस बोरिए पे मैं ने पढ़ी बे-रिया नमाज़ मस्ती में लग़्ज़िश अपनी रुकू-ओ-सुजूद है निकले जो मय-कदे से तो होगी क़ज़ा नमाज़ जाते हैं गिरते पड़ते हुए राह-ए-शौक़ में क्या जानें हम तरीक़ है क्या और क्या नमाज़ ला-तक़रबुस्सलात इसी अम्र पर है नहीं पी कर मय-ए-ग़रूर न पढ़ वाइज़ा नमाज़ अल्लाह दे जो निय्यत-ए-ख़ालिस हुज़ूर-ए-क़ल्ब फिर अर्श सज्दा-गाह है कुर्सी है जा-नमाज़ हर दम जिहाद-ए-नफ़्स में तकबीर है बुलंद सर पर है तेग़-ए-जब्र मगर है बपा नमाज़ दामान-ए-तर की लो ख़बर ऐ ज़ाहिदान-ए-ख़ुश्क इस जामा-ए-नजिस से नहीं है रवा नमाज़ है इज़्तिराब फ़ाक़े में उठ बैठ बहर-ए-क़ूत ज़ाहिद कुजा ओ रोज़ा कुजा ओ कुजा नमाज़ तीर-ओ-कमाँ हैं उस के क़ियाम-ओ-रुकूअ' 'बहर' इक दिन उड़ाएगी हदफ़-ए-मुद्दआ' नमाज़