जब देखता हूँ तन्हा तुझ को सजन चमन में किस किस तरह की बातें आती हैं मेरे मन में लड़के खड़े हैं ग़मगीं पथरे पड़े हैं बेकस दीवाना हाए जब से जाता रहा है बन में मजनूँ की ख़ुश-नसीबी करती है दाग़ दिल को क्या ऐश कर गया है ज़ालिम दीवाने-पन में इस दाग़-दार दिल को गाड़ो न साथ मेरे डरता हूँ मत लगे उठ आतिश मिरे कफ़न में ख़ूबाँ 'यक़ीं' को मा'ज़ूर अब तो रखो कि इस के लोहू नहीं जिगर में आँसू नहीं नयन में