जब फैल के वीरानों से वीराने मिलेंगे दिल खोल के दीवानों से दीवाने मिलेंगे ऐ कू-ए-ख़मोशी की तरफ़ भागने वालो हर गाम पे अफ़्साने ही अफ़्साने मिलेंगे ज़ंजीर लिए हाथों में कुछ सोच रहे हैं ज़िंदाँ में बहुत ऐसे भी दीवाने मिलेंगे जो गर्मी-ए-महफ़िल से जला लेते हैं शमएँ परवानों में कुछ ऐसे भी परवाने मिलेंगे हाँ देख ज़रा फैल के ऐ तिश्नगी-ए-शौक़ हर जाम में सिमटे हुए मय-ख़ाने मिलेंगे