जब खंडर हवेली के कान में सदा डाली उस ने तो सदाओं की गर्द मुझ पे ला डाली क़ाफ़िले से क्या बिछड़े देख राइगानी अब मंज़िलों पे जाने की सोच भी गँवा डाली ख़ौफ़ का जो दरिया था पार कर नहीं पाए ख़्वाहिशों की शहज़ादी बस वहीं बहा डाली तीरगी के गालों पर प्यार से दिया बोसा रौशनी की ख़्वाहिश थी रौशनी बना डाली दिल के इस इलाक़े में गुल्सिताँ की हाजत है फूल मैं बनाता हूँ तू बना के ला डाली बद-गुमान लोगों को बोलने पे उकसाया हब्स के समुंदर में या'नी कुछ हवा डाली मुंतज़िर रहे 'शाहिद' कुछ भी हो नहीं पाया रात दिन के फेरे में ज़िंदगी मिटा डाली