जब लड़कपन शबाब तक पहुँचा मंज़िल-ए-आफ़्ताब तक पहुँचा कोई नासेह को ये ख़बर कर दे तिश्ना-लब फिर शराब तक पहुँचा क़िस्सा-ए-हुस्न-ए-दिल की महफ़िल से महफ़िल-ए-माहताब तक पहुँचा हुस्न तक़्सीम हो के जल्वों में ज़र्रों से आफ़्ताब तक पहुँचा सितम-ए-बाग़बाँ से घबरा कर शो'ला-ए-दिल गुलाब तक पहुँचा इश्क़ में आ गया मक़ाम ऐसा हर सुकूँ इज़्तिराब तक पहुँचा कारवाँ ग़म-ज़दों का ऐ अख़्तर मंज़िल-ए-कामयाब तक पहुँचा