जब मेरी कहानी में वो किरदार नहीं अब जा मान लिया पहले सा मेआ'र नहीं अब ले तेरे ही कहने पे तुझे छोड़ दिया है क्यों और कहाँ कैसे कि तकरार नहीं अब कुछ शौक़ न हसरत न तमन्ना न गुज़ारिश दुनिया से मिरा कोई सरोकार नहीं अब वहशत भी तबीअ'त में है और जोश-ए-जुनूँ भी टकराने को सर सामने दीवार नहीं अब अब ज़ब्त नहीं बाक़ी है दिल भर चुका मेरा ये ता'ने ये बिगड़ी हुई गुफ़्तार नहीं अब अब कोई भी दा'वा नहीं कर सकता है मुझ पर दुनिया में कोई भी मेरा हक़दार नहीं अब इस दिल को 'सिया' रोग लगाना नहीं अच्छा बस और उदासी भरे अशआर नहीं अब