जब मिले है पूछता तुम कौन हो तुम कौन हो आह ये कैसी अदा तुम कौन हो तुम कौन हो दौर-ए-मुश्किल में गिला अग़्यार का कैसे करूँ जब कहे ये आश्ना तुम कौन हो तुम कौन हो मालिक-ए-कुर्सी था तो करते थे जो झुक कर सलाम वो कहें जब से गिरा तुम कौन हो तुम कौन हो जब कहा चाहत अदू से अस्ल में तौहीन-ए-इश्क़ बेवफ़ा कहने लगा तुम कौन हो तुम कौन हो चाहे जब फुसलाए मुझ को चाहूँ मैं कुछ भी अगर तो कहे ये मह-लक़ा तुम कौन हो तुम कौन हो दिल है अस्ल-ए-ज़िंदगी देने से पहले ग़ैर को पूछने में क्या बुरा तुम कौन हो तुम कौन हो बंदा-ए-नाचीज़ ऐसा यौम-ए-मह्शर को अगर क्या अजब पूछे ख़ुदा तुम कौन हो तुम कौन हो जब कहा जपते हैं माला हम तो तेरे नाम की हँस के उस ने कह दिया तुम कौन हो तुम कौन हो दिल में तस्वीर-ए-सनम होंटों पे है नाम-ए-ख़ुदा मैं सुनूँ हर दम सदा तुम कौन हो तुम कौन हो वा'दा-ए-बोसा किया लेकिन एवज़ में दी चपत और नख़वत से कहा तुम कौन हो तुम कौन हो आशिक़ी मस्लक वो 'अनवर' जिस में दो बनते हैं एक ये गुनह है पूछना तुम कौन हो तम कौन हो