जब से है वो रौनक़-ए-महफ़िल आँखों में जान लबों पर रहती है दिल आँखों में सूख रही है जू-ए-गिर्या-ए-गर्द-निशाँ चुभने लगी है अब ख़ाक-ए-दिल आँखों में हिज्र की रातें अर्सा-ए-बे-ख़्वाबी का सफ़र काट रहा हूँ मंज़िल मंज़िल आँखों में ख़ून की लहरें मोती मोती पलकों पर निकला दिल-दरिया का साहिल आँखों में देख रहा हूँ गुज़रे वक़्त की तस्वीरें उतरे हैं यादों के महमिल आँखों में