जब से जुनून-ए-शौक़ के मेहवर बदल गए चेहरों के फूल क़द के सनोबर बदल गए क्यूँ अपने साथ दीदा-ए-हैराँ को ले गया बचपन गया तो हुस्न के पैकर बदल गए ज़हराब-ए-इश्क़ पी न सके बुल-हवस कभी कहने की बात है ख़ुम-ओ-साग़र बदल गए सोया तो आँख में तिरे सपने समा गए जागा तो रंग ख़्वाब के यकसर बदल गए ऐ उम्र-ए-रफ़्ता लूट के आ जा बस एक बार आ जा कि सुब्ह-ओ-शाम के तेवर बदल गए